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Monday, September 3, 2012

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"मेरी उनींदी आँखों से,
एक ख्वाब बनकर गुजर गयी,
"तुम"
  न जाने क्यूँ अब,
हर वक़्त ख्वाब देखने का ,
जी करता हैं,
"मेरा "  

Monday, February 13, 2012

ना जाने  क्यूँ,
कह ना सका,
अपने सतरंगी सपने,
सजा ना सका,
और बसंत आने से ही पहले, 
हार चुका था ,
मैं लफ्जों के खेल में,
यही थी मेरी पहली, आखिरी ,
हार !





Saturday, November 19, 2011

एक हल्की सी मुश्कुराहट चेहरे को गुलाबी रंगत, आँखों में चमक और कलेजे को ठंडक देती है,
 इसलिए मुस्कुरा कर जरुर देखे.
 


कहते है--- प्यार अँधा होता है.
              और शादी  आँखें खोल देती है.
 

Friday, November 18, 2011

अगर गिरने लगू तो वोह आकर संभाले मुझे,
हमें अपने जहा में कोई ऐसा शख्स नहीं देखा.
नहीं

Wednesday, November 16, 2011

कितने चेहरों में सरे राह वह मिलता है हमें,
एक मुद्दत से जिसे  हमने भुला रखा है.

वह 

Sunday, November 13, 2011

आज भी याद है मुझे. हनुमान मंदिर , किदवई नगर , कानपुर.
तुम्हारा इंतज़ार करना, मिलना और Engg. college चले जाना,
वक़्त गुजरा, तुम  दूर हो गयी लेकिन यादें अभी भी ताज़ा है,
शायद तुम्हे यकीन न हो की मै तब से  कानपुर आया ही नहीं...........
लेकिन अब भी मेरी यादों की सडक लेबर कालोनी , हनुमान मंदिर,
किदवई नगर, कानपुर तक जाती है.


 तुम्हारी यादें