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Tuesday, May 10, 2011

SIRF TUM------still waiting

क्यूँ भटकता हूँ मैं,
इस दर्द के रेगिस्तान में ,
प्यार की एक बूँद के लिए,
शायद किश्मत को मेरा ,
भटकना  ही मंजूर है, 
ए मेरी कल्पना, 
एक बार आगोश में लेकर देख, 
मैं भी बिखरना चाहता हूँ,
कही ऐसा न हो कि,
समय के झंझावत ,
मुझे तुम्हारे  आने से पहले ही,
बिखेर दे,
कागज़ के टुकडो कि तरह,
और रह जाऊ मैं  इक ,
इतिहास बनकर,





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