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Saturday, November 19, 2011

एक हल्की सी मुश्कुराहट चेहरे को गुलाबी रंगत, आँखों में चमक और कलेजे को ठंडक देती है,
 इसलिए मुस्कुरा कर जरुर देखे.
 


कहते है--- प्यार अँधा होता है.
              और शादी  आँखें खोल देती है.
 

Friday, November 18, 2011

अगर गिरने लगू तो वोह आकर संभाले मुझे,
हमें अपने जहा में कोई ऐसा शख्स नहीं देखा.
नहीं

Wednesday, November 16, 2011

कितने चेहरों में सरे राह वह मिलता है हमें,
एक मुद्दत से जिसे  हमने भुला रखा है.

वह 

Sunday, November 13, 2011

आज भी याद है मुझे. हनुमान मंदिर , किदवई नगर , कानपुर.
तुम्हारा इंतज़ार करना, मिलना और Engg. college चले जाना,
वक़्त गुजरा, तुम  दूर हो गयी लेकिन यादें अभी भी ताज़ा है,
शायद तुम्हे यकीन न हो की मै तब से  कानपुर आया ही नहीं...........
लेकिन अब भी मेरी यादों की सडक लेबर कालोनी , हनुमान मंदिर,
किदवई नगर, कानपुर तक जाती है.


 तुम्हारी यादें
 

Monday, September 12, 2011

भ्रस्टाचार ने ली एक टीचर  की जान,
.   ८-९-२०११, पिछले ३८ महीनो से वेतन न मिलने की वजह से गाजी पुर (उ.प.) के रहने वाले मदरसा SPQEM            टीचर एकरामुल हक अंसारी,  जो कि मदरसा फैज़नुल उलूम, बहादुरगंज के रहने वाले थे, ने आत्महत्या कर ली मदरसा गाजीपुर के टीचर्स का कहना है कि गाजीपुर जिले कि इस टीचर की सलारी पिछले ६ माह की आई थी और गाजीपुर के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने तनख्वाह देने के एवज में आधी तनख्वाह घूस में मांग ली और घूस न मिलने पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने तनख्वाह नहीं दी. तंग आकर टीचर ने आत्महत्या कर ली.
       जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, गाजीपुर और वक्फ लिपिक मोहम्मद अमजद के खिलाफ कारवाही करने के लिए आप सभी लोग आगे आये.


""तू एक नदी तो सागर हूँ मै, 
 तू एक घटा तो बदल हूँ मै,
 चिड़िया की तरह उड़ता हूँ
तेरे प्यार के आसमान में,
तेरी सपनीली आँखों में
 हमेशा रहना चाहता हूँ मैं""
 

Sunday, September 11, 2011

"तुम्हारी यादें,
मेरी मरुस्थली ज़िन्दगी में,
एक कैक्टस की तरह,
छूने  पर चुभती है,
देखने में खूबसूरत है"

Saturday, September 3, 2011

गिरने लगा हूँ ज़माने की बेरहम ठोकरों से,
                                  वह आके  संभाले,
  ढूँढता रहता हूँ इस पत्थर दिल दुनिया में,
                                   ऐसा कोई नहीं देखा.

Wednesday, August 31, 2011

तुम्हारी हलकी सी मुस्कराहट, साफ़ एलाने जंग है,
 मेरे रंजो गम, फिक्र और मायूसी के खिलाफ .

Thursday, August 25, 2011

यूँ न मुस्करा कर मेरी तरफ देखा करो,
 मेरे अरमानो के भी पर निकल आते है,

Sunday, August 21, 2011

"कभी बन संवर के जो आ गए तो बहारे हुस्न दिखा गए,
 मेरे दिल को दाग लगा गए वो नया शगूफा खिला गए"
"कोई क्यूँ किसी का बिठाये दिल कोई क्यूँ किसी से लगाये दिल,
.    वो जो बेचते थे दवाएं दिल वो दुकान अपनी बढा गए"
 "यही शौक था हमें दम ब दम की बहार देखेंगे अबकी हम 
.     जु ही छूटे कैदे कफस से हम तो सुना खिजा के दिन आ गए"
                               "Bhadur Shah Jafar"
कैसे लिखू मैं,
इश्क, मोहब्बत के अफसाने,
जब देश हमारा सडको पर है,
    जरुरत है आज हमारी देश को,
 क्यूंकि मैं भी भारत का नागरिक हूँ,
आओ हम सब चले भ्रस्टाचार मिटाने,
कदम मिलाये अन्ना हजारे से,
 जय हिंद -------------------जय भारत !

Thursday, August 18, 2011

आओ हम  बढ़ चले भ्रस्टाचार मनाने ताकि कोई कह न सके,
 "रोम जल रहा था और नीरो बैठा चैन से बंसी बजा रहा था"

Saturday, August 13, 2011

मेरे नाना --स्वंत्रता संग्राम सेनानी श्री द्वारिका प्रसाद मौर्य

 परतंत्रता कैसी भी हो वह सदैव घातक  होती है. फिर जब सवाल राष्ट्र की आज़ादी का है तो जीवन में उसके संघर्ष करने से कोई बड़ा काम नहीं होता . राष्ट्रदेव भव का पूजन -आराधना सभी देवो से प्रथम है. और उसे आज़ाद कराने   के लिए  हर स्तर पर स्वीकार करना होगा इसे ही अपने जीवन में सिद्ध कर दिखाया था स्वंत्रता संग्राम सेनानी श्री द्वारिका प्रसाद मौर्य ने.  
..         लखीमपुर की धरती के लिए  श्री द्वारिका प्रसाद का नाम अनजाना नहीं है, धुन के पक्के और दृढ निश्चय वाले श्री द्वारिका प्रसाद टूट तो सकते थे. लेकिन झुक नहीं सकते. शायद यही कुछ बातें थी जिन्होंने उन्हें अँगेरेजी हुकूमत से दो दो हाथ करने को मजबूर किया , एक साधारण किसान परिवार में जन्मे श्री द्वारिका प्रसाद में बचपन से ही कूट कूट कर राष्ट्रप्रेम व स्वाभिमान भरा था
     विकाश खंड बेहजम के गाँव भूलनपुर में साधारण किसान श्यामलाल के  घर जन्मे  श्री द्वारिका प्रसाद मौर्य बचपन  से ही दृढ संकल्पी थे . प्रथिमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे लखीमपुर में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे थे क़ि गाँधी जी ने १९२१ में असहयोग आन्दोलन शुरू कर दिया . लखीमपुर से पंडित बंशीधर मिश्र व् ठाकुर करन सिंह के संपर्क में आये श्री द्वारिका प्रसाद मौर्य से ब्रिटिश हुकूमत के जुल्म बर्दास्त नहीं हुए.
       विधार्थी जीवन से स्वंतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले श्री द्वारिका प्रसाद मौर्य को कांग्रेस के उच्चस्थ नेताओ से प्रेरणा मिलती रही महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरु जैसे उनके आदर्श बन चुके थे जिसमे आज़ादी   क़ी लड़ाई तेज करने वाले श्री द्वारिका प्रसाद मौर्य को १२ साल क़ी कैद व् २५ रुपये जुरमाना हुआ. लेकिन ४ साल बाद देश आज़ाद होने के कारण रिहा कर दिए गए.
        श्री द्वारिका प्रसाद मौर्य जी ने देशसेवा में उम्र गुजर कर सन २००३ में अपना  शरीर  त्याग दिया.
.   लखीमपुर में आज भी उनकी स्म्रतिया शेष है
जय हिंद --------------------जय भारत ----------

 

Tuesday, August 9, 2011

  न खिजा में है कोई तीरगी न बहार में  कोई रौशनी,
   ये  नज़र के चराग है कही बुझ गए कही जल गए

Friday, August 5, 2011

रु ब रु  आप मेरे रहे बा खुदा,
यूँ ही देखा करू उम्र भर आप को,

Saturday, July 30, 2011

ज़िन्दगी क्या है ?.....
        १- फूल की तरह हसीन आती है मगर हकीकत में कांटे की तरह दुःख देती है.
        २-बचपन की तरह चंचल लगती है मगर हकीकत में बुढ़ापे की तरह उदास है.
        ३- चाँद की तरह सुलगती है मगर हकीकत में अंधेरो की तरह स्याह है.
        ४- एक कहकहा है मगर हकीकत में आंसू है.

Tuesday, July 26, 2011

""पूछे भी तो  क्या ख्वाब की ताबीर किसी से,
हमने तो कोई ख्वाब भी पूरा नहीं देखा.""
"""न हँसते मुस्कराते है न खुल कर बात करते है,
हमारी जान जाती है यूँ उनके पेश आने से ""

Monday, July 25, 2011

मेरे मोहब्बत की जुबा अल्फाज़ की मोहताज़ नहीं,
मैंने सब सुन लिया उसने कहा कुछ भी नहीं.......
इस मोहब्बत का नतीजा ब खुदा कुछ भी नहीं,
ऐसी बीमारी है यह जिसकी दवा कुछ भी नहीं ....

Sunday, July 3, 2011

वो राहे भी कितनी अजीब है,
जो छोड़ गयी है किसी के निसा
मेरे मासूम दिल पर,
हम सोचते रहते है की,
यह राह  वही तो नहीं जिस पर,
हम कभी मिले थे,
या जिन्हें हम देखते थे ,
अपने उनींदी आँखों से,
सपनो में ................................

Wednesday, June 22, 2011

दिल के सारे  हसीं जज्बातों को,
  अपने इन नाजुक होठो  की पनाह दो,
मेरी इस मुख़्तसर सी ज़िन्दगी को,
   अपने प्यार से महका दो,

Sunday, June 19, 2011

दिल से नज़दीक आँखों से ओझल,
   बाज़ चेहरे अजीब होते हैं....

तुम तो निगाहें फेर के खुशियों में खो गए,
हमने उदासियों को मुकद्दर बना लिया,,

Tuesday, June 14, 2011

इस दिल के इतने टुकड़े हुए,
                                   कि वो चुनने भी न आया,
आसुओं को मुस्कुरा के छुपा लेना,
                            यही एक रास्ता समझ में आया.....

Friday, June 3, 2011

woh

मैं रोज़ मिलता था उससे हँसते हुए,
आरजुओं को उससे से छिपाकर, 
बरसो से बुनता था पलकों पर सपने उसके,
पर ख्यालों में खो जाती थी हमसे,
दिल-ऐ-नश्तर  सी चुभती थी उसकी नज़रे,
रहा नहीं गया मुझसे कुछ बोले बगैर,
मुस्कुरा कर नज़रे झुका लिया था उसने,
और फिर  सारी कायनात चेहरे पे समेत कर बोली,
था मुझे भी इंतजार इन्ही लम्हों का......


Tuesday, May 31, 2011

आँखों में नमी,
खोजती निगाहें,
मायूसी चेहरे पर,
बंद है लब,
यही है मेरे प्यार की 
जुबान,

Sunday, May 15, 2011

"फिर से उस शख्स को जाकर देखे हम.
उसमे क्या है कि जो पागल हुए हम "
जहाँ से चाँद ने एक बार मुझको  देखा था,
मैं  छोड़ आया हूँ ऑंखें उसी दरीचे में,

Saturday, May 14, 2011

"जागती  आँखों में वीराने बसे थे  लेकिन, 
पलके मुंदी  तो तो हुआ ख्वाब जंजीरा आबाद "

Friday, May 13, 2011

एक मुद्दत हुई, 
तुमसे कहना है कुछ पर मैं कैसे कहू, 
आरज़ू है मुझे ऐसे अल्फाज़ की,
जो किसी से कहे न हो, 
लफ्ज़ कुछ ऐसे हो,
जो सुरमई शाम के गेसुओं में बंधी,
बरिशे खोल दे, 
फूल के सुर्ख होटों पे ओश रख दू
ख्वाब की मांग में सिन्दूर की लाइन खीच दू,
आरजू है ऐसे अल्फाज़ की,
ख्वाब को हकीकत किया जा साके
एक सच्ची कहानी किया जा सके,..............
 

Tuesday, May 10, 2011

SIRF TUM------still waiting

क्यूँ भटकता हूँ मैं,
इस दर्द के रेगिस्तान में ,
प्यार की एक बूँद के लिए,
शायद किश्मत को मेरा ,
भटकना  ही मंजूर है, 
ए मेरी कल्पना, 
एक बार आगोश में लेकर देख, 
मैं भी बिखरना चाहता हूँ,
कही ऐसा न हो कि,
समय के झंझावत ,
मुझे तुम्हारे  आने से पहले ही,
बिखेर दे,
कागज़ के टुकडो कि तरह,
और रह जाऊ मैं  इक ,
इतिहास बनकर,





Sunday, May 8, 2011

Mere Sabd: वो खूबसूरत ऑंखें,सारे प्यार को समेटे हुए, अथाह गहर...

Mere Sabd: वो खूबसूरत ऑंखें,सारे प्यार को समेटे हुए, अथाह गहर...: "वो खूबसूरत ऑंखें, सारे प्यार को समेटे हुए, अथाह गहराई है जिनकी, पता नहीं क्यूँ मुझे, एक नई दुनिया दिखाती है , गहरी झील सी ऑंखें, तैरना जनता..."
वो खूबसूरत ऑंखें,
सारे प्यार को समेटे हुए, 
अथाह गहराई है जिनकी,
पता नहीं क्यूँ मुझे,
एक नई दुनिया दिखाती है ,
गहरी झील सी ऑंखें,
तैरना जनता हु फिर भी, 
डूब जाना चाहता हूँ ,
बह जाना चाहता हूँ ,
हवा में उड़ते पत्ते के ,
मानिंद
काजल की रेखा लगती है,
एक खूबसूरत किनारा, 
जिस पर खड़े होकर,
अक्सर मैं सोचता हु,
काश! यह जन्नत मेरी होती,
सायद येही है,
दिवा स्वप्न मेरा.............................. 









Wednesday, May 4, 2011

एक सुरमई शाम,
जब बादल  खेल रहा था,
आँख मिचौली,
एक पुल की रेलिंग पर ,
अपने हाथो में ,
मेरा हाथ लेकर ,
मेरी आँखों में झांक कर ,
तुमने कहा था ,
आई  लव  यू ,
और मैं मौन होकर,
तुम्हारी सपनीली आँखों में खोकर ,
अपनी ज़िन्दगी तलाशता रहा
और नदी बहती रही ,
आज भी वो नदी पूछती है ,
तुम्हारी ज़िन्दगी कहा गयी,
अब तुम ही बताओ,
मैं क्या जवाब दूं ??????????












Saturday, April 23, 2011

मेरी भटकती निगाहों को मंजिल मिल गयी होती,
              काश! तुमने एक बार देखा तो होता,
मेरे पाँव की भटकन थम गयी होती , 
              काश! तुमने पुकारा तो होता ,
न जाने कब पिघलेगी अजनबी पन की बर्फ , 
   एक बार अपनी मौजूदगी का एहसास तो दिया होता,
 यह सोच कर बैठा  हूँ  साहिल की किनारे,
           काश तूफानों ने ही सहारा दिया होता,











Thursday, April 21, 2011

अपनी चाहतो को लेकर भटकता रहा इस पत्थर दिल दुनिया में,
मगर मोहब्बत की हक़ीक़तों ने इसे छलनी कर दिया ,

Monday, April 18, 2011

SIRF TUM------still waiting

तुम्हारी यादों के पन्ने,
पलट जाते है क्यूँ बार बार,
वही नकाब , वही ऑंखें ,
 वही गलियां , बुलाती है ,
क्यूँ मुझे बार बार ,
आज भी गूँज जाती है
तुम्हारी आवाज़ मेरी कानो में,
और मैं बंद हो जाता हूँ,
तुम्हारे यादों के खोल में,
रेशम के कीड़े की तरह, 
इंतज़ार करता हुआ अपनी,
मौत  का ,  



Sunday, April 17, 2011

Love is an emotion of strong affection and personal attachment. In philosophical context, love is a virtue representing all of human kindness, compassion, and affection. Love is central to many religions, as in the Christian phrase, "God is love" or Agape in the Canonical gospels. Love may also be described as actions towards others (or oneself) based on compassion. Or as actions towards others based on affection.

In English, the word love can refer to a variety of different feelings, states, and attitudes, ranging from generic pleasure ("I loved that meal") to intense interpersonal attraction ("I love my partner"). "Love" can also refer specifically to the passionate desire and intimacy of romantic love, to the sexual love of eros (cf. Greek words for love), to the emotional closeness of familial love, or to the platonic love that defines friendship, to the profound oneness or devotion of religious love.  This diversity of uses and meanings, combined with the complexity of the feelings involved, makes love unusually difficult to consistently define, even compared to other emotional states.

Love in its various forms acts as a major facilitator of interpersonal relationships and, owing to its central psychological importance, is one of the most common themes in the creative arts.

Science defines what could be understood as love as an evolved state of the survival instinct, primarily used to keep human beings together against menaces and to facilitate the continuation of the species through reproduction.

Wednesday, April 13, 2011

कोई कुछ न कहे तो पता क्या है'
बेचैन ख़ामोशी की वजह क्या है ,
हर कोई छोड़ जाता है तनहा हमें, 
कोई यह तो बताये की हमारी खता क्या है............



Sunday, April 10, 2011

फासले बहुत है पर इतना मान लीजिये,
करीब होकर भी हर कोई खास नहीं होता,
आप ख्यालों में इतने करीब है की,
फासलों का एहसास नहीं होता .......................

उन अधखुली आँखों में एक ख्वाब सा चमक रहा है ,
यूँ लगता है जैसे उनकी खामोसियाँ ही उनकी आवाज़ है ,
ना जाने क्यूँ आसमा इतना नीला हो गया है,
उनकी मुस्कराती आँखों में अब मेरी ही तस्वीर है.